जिले के सेवारत 241 डॉक्टरों के इस्तीफे के बाद ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में अब ज्यादा व्यवस्थाएं बिगड़ने लगी हैं। हालांकि सरकार ने वहां भी आयुष चिकित्सकों के अवकाश रद्द कर उन्हें वहां लगाया है। लेकिन इमरजेंसी गंभीर मरीजों को उपचार नहीं मिल रहा इधर, सरकार ने एक आदेश जारी कर अस्पतालों में अस्थाई तौर पर एमबीबीएस विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं दैनिक मानदेय पर लेने के आदेश दिए हैं। इस आदेश से भी गांवों में डाॅक्टर मिलना मुश्किल है। ग्रामीण क्षेत्रों में नीम-हकीम बंगाली डॉक्टर फिर से सक्रिय हो गए हैं। हड़ताल के चलते ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को ज्यादा परेशानी देखनी पड़ रही है। ऐसे में गंभीर मरीजों तक का इलाज बिना डिग्री अनुभव के नीम-हकीम कर रहे हैं। बाली उपखंड के आदिवासी क्षेत्रों में इनका बड़ा नेटवर्क खड़ा हो गया है। उपचार के नाम पर 300 से 400 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। इलाज के लिए भी उनकी दुकानों पर लंबी लाइनें लगी हुई हैं।
इधर,हड़ताल के बाद भी अभियान के तहत 2 हजार गर्भवती महिलाओं की जांच : हड़तालके बाद भी गुरुवार को जिले में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत 2 हजार से अधिक गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच कर परामर्श दिया गया। सीएमएचओ डॉ. एसएस शेखावत ने बताया कि अभियान के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी। 94 आयुष कर्मियों ने मरीजों के साथ ही गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य जांच की। इसमें निजी अस्पताल के विशेषज्ञों ने भी सहयोग किया। बांगड़ समेत जिले के सभी चिकित्सा संस्थानों में 2 हजार 379 गर्भवती महिलाओं की जांच की।
व्यवस्था संभालने 3 हजार प्रतिदिन मानदेय पर एमबीबीएस 4 हजार में विशेषज्ञ डॉक्टर लगाने के आदेश
सेवारतचिकित्सकों की हड़ताल को देखते हुए बांगड़ अस्पताल में सरकार ने 3 इंटर्न भेजे हैं। हालांकि अस्पताल की ओर से 5 की मांग की गई थी। तीनों ने गुरुवार को ज्वाइन कर लिया है। वहीं निदेशालय की ओर आदेश जारी किए गए हैं कि जिले के अस्पतालों में 3 से 4 हजार रुपए प्रतिदिन मानदेय पर अस्थाई विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवा ली जाए। एमबीबीएस डॉक्टर को 3 हजार रुपए प्रतिदिन, विशेषज्ञ को 4 हजार रुपए और इमरजेंसी में रात को कॉल पर आने के लिए डॉक्टर को 700 रुपए मिलेंगे।
इधर, बांगड़ में थोड़ी राहत {इंटर्नशिपकर रहे तीन डॉक्टर आए, मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ समेत अब 19 डॉक्टर संभालेंगे व्यवस्था, सभी के अवकाश भी निरस्त।
आयुष चिकित्सकों के भरोसे अस्पताल {ज्यादातर मरीज इमरजेंसी में तत्काल राहत के लिए मांग रहे एलोपैथी उपचार, मिल रही आयुर्वेद होम्योपैथी दवाइयां।
फायदा उठा रहे नीम हकीम, गांवों में वापस सक्रिय {ग्रामीण क्षेत्रों में पीएचसी सीएचसी स्तर पर भी अस्पतालों में डॉक्टर नहीं होने के कारण ग्रामीण वापस नीम-हकीमों के पास जाने को मजबूर हैं।
सोजत अस्पताल से सीजेरियन प्रसव के लिए रेफर
सोजतउपजिला अस्पताल में पांच अतिरिक्त डॉक्टर लगाए हैं। लेकिन, प्रतिदिन यहां अस्पताल से सीजेरियन प्रसव के तीन से चार मामले बांगड़ अस्पताल में रैफर करने पड़ रहे हैं। वहीं प्रतिदिन होने वाले करीब 4 ऑपरेशन भी टाले जा रहे हैं।
बांगड़ में चार दिन से सोनोग्राफी और ऑर्थोपेडिक ओपीडी बंद
हड़तालके चलते बांगड़ अस्पताल में चार दिन से सोनोग्राफी सेंटर समेत ऑर्थोपेडिक ओपीडी बंद है। अस्पताल प्रशासन की मानें तो इन दोनों के विशेषज्ञ नहीं होने की वजह से मरीजों को रेफर करना पड़ रहा है। वहीं गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी के लिए भी उन्हें निजी सेंटर भेज रहे हैं।