डेढ़ साल पहले लगी राेक के बावजूद अवैध बजरी का काराेबार
डेढ़ साल पहले लगी राेक के बावजूद अवैध बजरी का काराेबार
सुप्रीम काेर्ट ने बजरी खनन पर राेक लगा रखी है। डेढ़ साल पहले लगी राेक के बावजूद अवैध बजरी का काराेबार हाे रहा है। हालात ये है कि खनिज विभाग और पुलिस की शह पर अवैध काराेबार बढ़ा है। इन सबके बीच सिर्फ जनता परेशान है। जनता की परेशानियाें के बीच दैनिक भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार पाली, जालाेर, सिराेही, बाड़मेर, जैसलमेर, नागाैर, िचत्ताैड़गढ़, भीलवाड़ा, बांसवाड़ा अाैर डूंगरपुर के साथ सामने आया दस जिलाें में सरकारी इमारतें तक अवैध बजरी से बन रही है।
पाली में कलेक्ट्रेट में पार्किंग शेड का निर्माण हो या सेंदड़ा में पुलिस थाने में क्वार्टर निर्माण हो या फिर बाड़मेर या जालोर के सरकारी दफ्तर का निर्माण कार्य सभी जगह निर्माण हो रहा है और यहां बजरी के ढेर लगे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि रोक के बाद अफसरों की नाक के नीचे आखिर बजरी आ कहां से रही है? सच यह है कि खनिज व पुलिस अधिकारी सुप्रीम काेर्ट के आदेश के बाद मालामाल हो गए हैं। लगभग हर जिले में दोनों विभागों के अधिकारियों ने बजरी खनन की आड़ में अपनी भागीदारी तय कर रखी है। इसके चलते प्रदेश में बजरी खनन की आड़ में संगठित गिरोह पनप गया है। इनके इरादे भी इतने खतरनाक हैं, कई बार अधिकारियों की जान लेने का प्रयास भी कर चुके हैं। पुलिस ने अवैध बजरी परिवहन कर रहे डंपर-ट्रैक्टर पकड़ती है, तो उन पर एमएमडीआर एक्ट में मुकदमा दर्ज करने के बजाय ज्यादातर काे मोटर व्हीकल एक्ट में पकड़ना दिखाकर एक-दो दिन में छोड़ देती है। या फिर माइनिंग की पेनल्टी रसीद का चालान काट छोड़ देती है। पाली जिले के 28 थानों में अब तक कुल 79 वाहनों को पकड़ा गया है।
मकान निर्माण की लागत भी बढ़ी : बजरी बंद होने से आम आदमी के घर के सपनों पर दोहरी मार पड़ रही है, क्योंकि बजरी का भाव 5 से 10 गुणा तक होने के कारण उनके मकान में निर्माण की लागत बढ़ गई है।
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