सोजत | इंदौर में भीख मांग रहे थे सोजत के 52 बच्चे, पुलिस के सहयोग से बाल कल्याण समिति ने मुक्त कराया
इंदौर में भीख मांग रहे थे सोजत के 52 बच्चे, बाल कल्याण समिति ने कराया मुक्त
इंदौर में पाली से गए 52 बच्चे अपने परिवार के साथ पॉश कॉलोनियों में अपने आप को किसी हादसे का शिकार बता मांगते थे भीख, रात को रुकते थे होटल में, परिवार के सदस्य भी साथ थे
जिले के सोजत के गुमानपुरा गांव के 52 बच्चे मध्यप्रदेश के प्रमुख शहर इंदौर में अपने परिवार के साथ जाकर भीख मांग रहे थे। इनका इंदौर बाल संरक्षण अायोग और वहां की पुलिस ने रेस्क्यू कर सभी बच्चों को वहां से मुक्त करवाकर परिजनों के साथ पाली भेजा गया है। 52 बच्चों के परिवार के सदस्यों के साथ कुल 69 69 लोग थे। बच्चों को जबरन भिक्षावृत्ति कराने के मामले में इंदौर में 17 महिलाओं के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया था। चौंकाने वाली बात यह है कि कुल 52 बच्चों में से 44 की उम्र 10 से 12
साल तक है। शेष 4 से 5 साल तक के ही है। इन बच्चों को रुकवाने के लिए परिजनों ने होटल में कमरा ले रखा था। वे रात को होटल में रुकते। इसके बाद दिनभर इंदौर की पॉश काॅलोनियों में घूमकर भीख मांगते थे।
जानकारी के अनुसार इंदौर बाल कल्याण समिति और इंदौर पुलिस ने इन परिवार के सदस्यों से पूछताछ की तो इन लोगों ने अपने आप को पाली के गुमानपुरा का बताया। उनका कहना था कि वे हर साल इंदौर में सुई बेचने आते हैं। जबकि सुई बेचने के नाम पर परिवार के सदस्य इन मासूमों से भीख मंगवा रहे थे। यह पुलिस की जांच में भी सामने आया है। जांच में पता चला कि यह लोग बच्चों से पॉश कॉलोनियों में यह कहकर भीख मंगवाते थे कि वे किसी हादसे का शिकार हो चुके हैं और उनका परिवार खत्म हो चुका है। इंदौर बाल संरक्षण आयोग के अधिकारियों ने इन बच्चों के पुनर्वास के लिए पाली भेज दिया है। इनमें से कुछ बच्चों को स्कूल व आंगनवाड़ी केंद्र से जोड़ा जा रहा है। गौरतलब है कि यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई थी। वहीं कुछ दिनों पूर्व प्रदेश के बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी भी इंदौर पहुंची अौर इस पूरे मामले की जानकारी ली।
17 महिलाओं के खिलाफ मुकदमा, होटल से मिली हिसाब लिखी पर्चियां
सुई बेचने के नाम बच्चों से मंगवाते थे भीख, पॉश कॉलोनियों में जाकर बोलते- हादसे में सब बर्बाद हो गया
पूछताछ में बताया कि वे सुई बेचने हर साल आते हैं, जबकि प्रारंभिक जांच में ऐसा कुछ नहीं था। रेस्क्यू की कार्रवाई में वहां हिंदी व अंग्रेजी में छपे पैम्पलेट भी मिले हैं। इसमें लिखा था कि वे अकालग्रस्त इलाकों से आए है। इतना ही नहीं किसी पर्चे में यह तक भी लिखा था कि एक हादसे में उनका सब बर्बाद हो गया और इसके लिए आर्थिक सहायता चाहिए।
होटल से मिली हिसाब लिखी पर्चियां, पुलिस व आयोग भी हैरान, एक बच्चा कमाता था 3 से 4 हजार
कार्रवाई के दौरान भीख मांगने वाले प्रत्येक बच्चे के नाम की हिसाब लिखी पर्चियां भी मिली है। इसे देखकर पुलिस व स्थानीय अायोग अधिकारी खुद हैरान हैं। इन पर्चियों के अनुसार एक बच्चा दिन में 3 से 4 हजार या फिर इससे अधिक कमाता था। इतना ही नहीं किस कॉलोनी में उनको भिक्षावृति में कितने रुपए मिले हैं। इसका भी बाकायदा हिसाब लिखा हुआ है।
इधर, पाली के प्रतिनिधि बोले- हमें केवल फोन पर सूचना, आधिकारिक कोई जानकारी नहीं
इस मामले में जब पाली बाल कल्याण समिति के सदस्य किशोर सोमनानी से बात की। उनका कहना था कि इसको लेकर हमें केवल फोन पर सूचना देकर बताया गया था कि इन लोगों को भेजा जा रहा है। इसकी मॉनिटरिंग भी करनी है। सोमनानी का कहना है कि इस संबंध में कोई आधिकारिक और पत्राचार से कोई जानकारी नहीं मिली।
इंदौर से इन बच्चों को छुड़ा पाली भेज दिया गया है। पाली बाल कल्याण समिति द्वारा मॉनिटरिंग की जाएगी इस बारे में तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी जा रही है। साथ ही देश के सभी स्टेट कमिशन को पत्र लिखा है। मनन चतुर्वेदी, अध्यक्ष, बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष
इंदौर बाल संरक्षण अायोग और इंदौर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में बच्चों समेत पकड़े गए कुल 69 लोग, सभी जिले के ही रहने वाले
दिन में बच्चों से मंगवाते थे भीख, इंदौर की एक होटल में प्रतिदिन 300 रुपए के हिसाब से ले रखा था कमरा
इंदौर के अधिकारियों के अनुसार इन सभी लोगों ने अपने आप को पाली जिले के सोजत के समीप गुमानपुरा गांव का बताया है। इनके साथ महिलाएं बच्चों से भीख मंगवाती थी, जिनके खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया। इंदौर में यह परिवार एक होटल में कमरे किराए पर लेकर रहता था, जिसका किराया भी प्रतिदिन 300 रुपए था।
स्थानीय आयोग और इंदौर पुलिस के एएसपी बिटु सहगल व अन्य अधिकारियों के साथ कार्रवाई कर 52 बच्चों को रेस्क्यू कर उनके पुनर्वास के लिए पाली भेज दिया गया है। परिवार के सदस्य यहां होटल में कमरा लेकर रह रहे थे। इसकी पूरी जानकारी राजस्थान बाल संरक्षण आयाेग की अध्यक्ष को भी दे दी है। यदि पाली बाल कल्याण समिति को ऑफिशियल जानकारी नहीं मिली है तो सोमवार तक सूचना दे दी जाएगी। माया पांडे, चेयरमैन, बाल संरक्षण आयोग, इंदौर
इनमें 44 बच्चों की उम्र 10 से 12 साल, शेष बच्चे मात्र 4 से 5 साल के ही थे, दूध पीने वाले बच्चे भी मिले महिलाओं के साथ, इंदौर आयोग ने पाली पुलिस व प्रदेश बाल संरक्षण आयोग को सौंपी रिपोर्ट
पाली बाल कल्याण समिति से मांगेगे तथ्यात्मक रिपोर्ट, प्रदेश आयोग ने मांगी अन्य आयोग से रिपोर्ट
इस मामले को लेकर बाल संरक्षण आयोग के अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है। इंदौर से लाए गए बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों से भी जोड़ा जा रहा है। साथ ही पाली बाल कल्याण समिति के अधिकारियों से भी तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी जा रही है। प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ने देश के सभी स्टेट कमिशन को पत्र लिख ऐसे बच्चों की जानकारी मांगी है, जो राजस्थान के हैं और दूसरे प्रदेश के शहरों में भिक्षावृति में लिप्त है या फिर बाल श्रमिक से जुड़े हैं।