लेनदेन में हो जाए फ्रॉड, तो RBI के ये नियम रखेंगे पैसे सुरक्ष‍ित

लेनदेन में हो जाए फ्रॉड, तो RBI के ये नियम रखेंगे पैसे सुरक्ष‍ित

ऑनलाइन पैसों का लेनदेन करने के दौरान या फिर एटीएम से पैसे निकालते वक्त आपके साथ धोखा हो सकता है. वित्तीय लेनदेन के दौरान कभी भी अगर आपके साथ धोखा होता है, तो आप खुद को सुरक्ष‍ित रखने के लिए कुछ अहम कदम उठा सकते हैं और कुछ  मामलों में अपने खोए पैसे भी पा सकते हैं.

भारतीय रिजर्व बैंक ने 14 दिसंबर को एक सर्कुलर जारी किया है. यह सर्कुलर को-ऑपरेटिव बैंकों को भेजा गया है. इसमें केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि लेनदेन के दौरान हुए फ्रॉड में ग्राहक देयता कहां पर बनती है और कहां पर नहीं.आरबीआई ने इलेक्ट्रोनिक ट्रांजैक्शन के दौरान होने वाले फ्रॉड को लेकर यह सर्कुलर जारी किया है. सर्कुलर में आरबीआई ने न सिर्फ को-ऑपरेटिव बैंकों को पुख्ता व्यवस्था करने की सलाह दी है, बल्क‍ि ये भी बताया है कि किन मामलों में बैंकों को ग्राहकों को पूरा पैसा लौटाना होगा.

आरबीआई ने इन बैंकों को कहा है कि वह इलेक्ट्रोनिक ट्रांजैक्शन के दौरान कोई धोखाधड़ी न हो, इसके लिए मजबूत इंतजाम करें. इसके लिए फ्रॉड डिटेक्शन की व्यवस्था और ऑनलाइन बैंक‍िंग में कमियों की खोज करने के लिए कहा गया है.इसके अलावा आरबीआई ने कहा है कि बैंक ग्राहकों को एसएमएस अलर्ट और ईमेल अलर्ट लेने के लिए कहें. आरबीआई ने कड़े शब्दों में को-ऑपरेटिव  बैंकों का कहा है क‍ि बैंक‍िंग लेनदेन होने पर SMS अलर्ट अनिवार्य रूप से भेजा जाए. वहीं, ईमेल अलर्ट तब भेजने जरूरी हैं, अगर ईमेल रजिस्टर है.

SMS पर Reply का देना होगा व‍िकल्प : आरबीआई ने कहा है कि कस्टमर को जो SMS भेजे जाएंगे, उसमें यह त्वरित रिप्लाई की व्यवस्था होनी चाहिए. आरबीआई ने कहा है कि लेनदेन को लेकर श‍िकायत के लिए कस्टमर का किसी वेब पेज या ईमेल को ढूंढने में वक्त जाया नहीं होना चाहिए.फ्रॉड हुआ भी तो आपकी नहीं होगी जिम्मेदारी : बैंक‍िंग लेनदेन के दौरान अगर बैंक की गलती से कोई फ्रॉड होता है या फिर आपके साथ वित्तीय गड़बड़ी होती है, तो इसके लिए बैंक ही जिम्मेदार होगा. इस अवस्था में आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनेगी. फिर चाहे आपने इस संबंध में बैंक को समय रहते बताया हो या न हो

यहां भी मिलेगी छूट : अगर आपके अकाउंट में थर्ड पार्टी की तरफ से कोई धोखाधड़ी होती है.  ये ऐसे मामले होते हैं, जहां न कस्टमर और न ही बैंक की वजह से धोखाधड़ी होती है. बल्क‍ि इसमें कोई तीसरी पार्टी शामिल होती है. इसमें भी आपको घबराने की जरूरत नहीं अगर आप ने फ्रॉड होने के तीन कार्यकारी दिनों के भीतर बैंक को जानकारी दे दी हो.

यहां आपका होगा नुकसान : अगर आप ने भुगतान से जुड़ी जानकारी किसी दूसरे व्यक्ति के साथ साझा की, तो बैंक को इसकी जानकारी न देने तक इसका पूरा खामियाजा आपको ही भुगतना पड़ेगा.  हालांकि बैंक को बताए जाने के बाद कोई फ्रॉड होता है, इसके लिए बैंक जिम्मेदार होगा.

एक बार जब आप धोखाधड़ी की शिकायत बैंक से कर देंगे, तो ये को-ऑपरेटिव बैंक की जिम्मेदारी है कि वह 10 कार्यकारी दिनों के भीतर रिपोर्ट पैसे क्रेडिट कर दे.

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