डाक्टरों की मानवताविहिन..अपने छोटे से लालच के लिये हडताल की तरह अगर पुलिस फोर्स ने भी हडताल की तो किया होगा ? जरुर पढ़े ..
(हडताल)..
कल रात मुझे एक सपना आया.. कि.मेरी पोस्टींग…… शहर कोतवाली मे एक….. एस.आई.के रूप मे होगई है…….मेरी पोस्टींग के …कुछ दिनो बाद डाक्टरों ने पहली बार इस तरहा की मानवताविहिन… हडताल की ..जिसकी वजह से कई मासुमो को अपनी जान से हाथ धोना पडा.. प्रदेश मे चल रही डाक्टरों की हडताल कुछ दिनो बाद खत्म हो गई …सरकार ने डाक्टरों की सभी मांगे मान ली है ….सब कुछ पहले की तरहा सुचारू होगया ….था मेरे घर के नजदीक मेरे शहर के सबसे बडे और प्रतिष्ठित सरकारी डाक्टर का घर था…….डाक्टर सहाब के दो जवान बेटीया व पत्नी थी …जो डाक्टर सहाब के साथ उसी घर मे रहती थी …बेटीया व पत्नी तीनो ही बहुत सुन्दर थी… हमारे मोहल्ले के कुछ अपराधी प्रवृति के लडके हमेशा उन तीनो को भूखे भेडियो की तरहा घुरते रहते थे ………….लेकिन कानून के डर की वजह से वह उनका कुछ नही कर पा रहे थे ……….अचानक कुछ दिनो बाद पुलिस फोर्स ने भी सरकार से कुछ मांगो को लेकर हडताल कर दी है ….वेसे तो पुलिस फोर्स मे कभी हडताल नही होती……….. लेकिन ….फोर्स ने सोचा की जब डाक्टर जितनी जिम्मेदार पोस्ट के लोग अपने छोटे से लालच के लिये हडताल जैसा कदम उठा सकते है ….तो …पुलिस फोर्स क्यो नही हडताल कर सकती यही सोच कर सब हडताल …पर चले गऐ. पुलिस के हडताल पर जाते ही हर तरफ अपराध का बोलबाल ….हर तरफ लुट खसोठ छिनाझपठी का माहोल ….बन गया ….मे भी थाने से अपने घर के लिये यह सोच कर निकला की दो चार दिन तक आराम करूगा …..यही सोच कर अपने घर की और पेदल ही निकल पडा….. अचानक मेरे कानो मे किसी के चिखने पुकारने की आवाज आई ….यह आवाज मेरे पडोस मे रहने वाले डाक्टर सहाब के घर से आ रही थी ….मे जब वहा दोड कर पहुचां तो मेरे होश ऊड गऐ …..डाक्टर सहाब एक कुर्सी पर लहु लुहान पडे हुऐ …..उनकी दोनो बेटीया ओर पत्नी की इज्जत को लुटने के लिये कुछ भूखे भेडिये आतुर थे……जिन्होने उनके बदन से सभी कपडे भी एक हबसी की तरहा फाड दिये थे….वो मासुम बच्चीयो ने मुझे देखकर जोर से आवाज लगाई…..अंकल हमे इन शैतानो से बचा लो …हम आपके हाथ जोडते है..यह सब देख..कर मेरी आखों …मे लहू उतर आया ….लेकिन मुझे देखकर वो गुंडे बहुत तेज हंसने लगे ….और हं सते . हुऐ कहने लगे की यह ….इन्सपेक्टर तुम्हारी कुछ मदद नही कर सकता …. यह भी तुम्हारे पापा की तरहा आज हडताल पर है ….और जब तक इनकी मांगे सरकार नही मानेगी तब तक यह अपनी हडताल नही तोडगे ….समझी …..उस अपराधी की बात जैसे ही मेरे कानो मे गई मेरे मदद के बडे कदम रूक गऐ ….और मुझे याद आया की हम तो हडताल पर है…..\n लेकिन एक बार फिर उस मासुम बच्ची की आवाज मेरे दिल तक पहुची और दिल ने कहा की हमारी …..मांगे और आवश्यकता तो हमेशा यूंही बनी रहेगी…लेकिन मेरी गैर जिम्मेदारी …और अपने कर्तव्य से मुहं मोड ….लिया …तो तीन मासुमो की जिन्दगिया ….नरक हो जाऍगी ………इस कशमकश…मेरा हाथ कब मेरी सर्विस रिवालवर पर चला गया ….मेने…लगातार उन दरिंदो पर फायर किये …जिसकी वजह से दो दरिंदे वही ढेर हो गऐ और बाकी के चार मोका देखकर फरार ….होगऐ….उन …तीनो मासुमो ने भरी आंखो से और हाथ जोड कर मेरा ….आभार व्यक्त किया…. में ….वहा से वापस अपने थाने पर अपनी डूयुटी पर आ गया ….मेरे साथीयो ….ने हडताल ….के बारे मे मुझसे कहा …..तो ….मेने ….कहा की कुछ पेशे ……शायद पेसा कमाने के लिये नही ……सिर्फ ….और ….सिर्फ ….सेवा के लिये होते……चाहै …..वो सेना की नोकरी बोडर पर खडे होकर देश की रक्षा करना हो …..या ….डाक्टर की नोकरी …..जो …मरीज को मोत के मुह से निकाल लाता है…..डाक्टरों …..की ..हडताल से…….किसी का इकलोता बेटा….या ..बेटी…..या ….किसी मां बाप….या किसी मासुम ….की …जान जा सकती है ….इन लोगो की हडताल मे इन सब निर्दोष लोगो का क्या दोष…….है……………..सियाचिन की बोडर पर कपकपाती ठंड मे खडा वो सेनिक पैसा कमाने के लिये नोकरी नही कर रहा …..वो इस लिये नोकरी कर रहा है ताकि उसके त्याग से उसके देश के और भाई …बहन शुकुन से रह सके …सेवा का और देशभक्ति का भाव उसके मन मे है………दोस्तो अगर यह कहानी आपको पंसद आऐ तो आगे जरुर शेयर करे …..ताकि हमारे समाज के सम्माननीय व जिम्मेदार हमारे सरकारी डाक्टर अपनी जिम्मेदारी को समझते हुऍ …अपने अपने कर्तव्य का निर्वाह करे …क्योकि इस देश की जनता आपके अन्दर ईश्वर को देखती है……….जय हिन्द …..जय भारत