पहले खून की थैली टैक्स फ्री थी, जनवरी से 1 यूनिट के चुकाने होंगे 1250 रु.
अस्पतालोंमें मरीजों को मिलने वाला खून पर भी जीएसटी का मार पड़ने जा रही है। अब तक खून की थैली पर किसी तरह का टैक्स नहीं था, मगर अब थैली पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाने के बाद राजस्थान स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल 1 जनवरी से खून महंगा करने जा रही है। अब ब्लड बैंक से निजी अस्पतालों को दिए जाने वाले खून पर जीएसटी भी चुकाना होगा। यानी अब तक एक यूनिट खून 1050 रुपए में मिलता था। टैक्स लगने के बाद अब 1250 रुपए चुकाने होंगे जिले में प्रतिदिन में 60 से अधिक यूनिट अन्य अस्पतालों को दिया जाता है। इसमें पाली स्थित ब्लड बैंक से सर्वाधिक खून भेजा जाता है। खून भेजने के मामले में सोजत तथा सुमेरपुर स्थित ब्लड बैंकों से भी निजी अस्पतालों को भेजा जाता है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार अस्पतालों में मिलने वाले ब्लड पर भी 12.5 फीसदी जीएसटी लागू किया गया है। इस वजह से राजस्थान स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल ने ब्लड बैंकों से मिलने वाले ब्लड के दाम बढ़ा दिए हैं। जिले में हर महीने 1800 मरीजों को ब्लड की जरूरत होती है। थैली पर जीएसटी लगाने के बाद सप्लायरों ने भी दाम बढ़ा दिए हैं। इसके चलते काउंसिल ने प्रति यूनिट के दामों में बढ़ोतरी करने के आदेश जारी कर सभी जिला उपखंड चिकित्सा प्रभारियों को एक जनवरी ने नई दरों पर ही प्रति यूनिट खून मरीजों को देने का निर्देश दिया गया है। गर्भवती को डिलीवरी के समय सबसे ज्यादा ब्लड लगाया जाता है।
ब्लडके दाम बढ़ाने का विरोध भी शुरू : ब्लडके दाम बढ़ाने का विरोध भी शुरू हो गया है। सोमनाथ भाजपा मंडल के अध्यक्ष राधेश्याम चौहान का कहना है कि लोगों का मानना है कि ब्लड की जरूरत उसी मरीज को रहती है, जो जिंदगी और और मौत के बीच जंग लड़ रहा हो। जब गेहूं पर सब्सिडी दी जा रही है तो खून पर क्यों नहीं। खाना तो एक दिन में एक वक्त मिले तब भी जिंदा रहा जा सकता है, लेकिन रक्त के बिना तो एक मिनट नहीं रहा जा सकता। अगर सरकार गरीब लोगों को सब्सिडी पर रक्त उपलब्ध करवाए तो इससे ब्लड बैंकों को भी राहत मिलेगी। हालांकि सरकारी अस्पतालों में निशुल्क ब्लड उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन यहां से रैफर होने पर उसे निजी अस्पताल में जाना पड़ा तो उस पर अतिरिक्त भुगतान का भार पड़ेगा।
गर्भवती,घायलों और थैलेसीमिया पीड़ितों को सबसे ज्यादा जरूरत : सबसेज्यादा ब्लड की जरूरत गर्भवती महिलाओं को होती है। इसके अलावा हादसों में घायल होने वाले लोगों को ब्लड की जरूरत पड़ती है। थैलेसीमिया पीड़ित मरीजों को भी हर माह ब्लड लगाने की जरूरत होती है।
दो साल पहले बढ़ाए थे 250 रुपए
काउंसिलने दो साल पहले ब्लड के दाम बढ़ाए थे। प्रति यूनिट 800 के बजाए 1050 रुपए के आदेश जारी किए थे। इस बार भी राजस्थान स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल के आदेश जारी होने के बाद यह दरेंं बढ़ाई है। सरकार द्वारा ब्लड की हर थैली पर जीएसटी लगाया जा रहा है। इसी के कारण राजस्थान ब्लड कौंसिल ने ब्लड बैंकों से सुझाव मांगे गए थे। उसी के आधार पर यह दरे बढ़ाई जा रही है। दूसरा बिजली के रेट लगातार बढ़ रहे हैं।
इस कारण कौंसिल को रेट बढ़ाने का सुझाव दिया ब्लड बैंकों ने ही दिए थे।
^राजस्थान स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल ने आदेश जारी किए हैं। इसमें 1 जनवरी से नई दराें पर मरीजों को खून देने के लिए कहा गया है। हालांकि बांगड़ समेत सरकारी अस्पतालों में मरीजों से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जा रहा है। -डॉ. एमएस राजपुरोहित, पीएमओ, बांगड़ अस्पताल,
^इसबारे में आदेश मिल गए हैं। यह आदेश 1 जनवरी 2018 से प्रभावी होंगे। पूर्व में 1050 रुपए प्रति यूनिट के लिए जा रहे हैं, नए आदेश से 1250 रुपए लिए जाएंगे। -डॉ. डीके जैन, प्रभारी ब्लड बैंक, बांगड़ अस्पताल, पाली
आधिकारिक जानकारी के अनुसार अस्पतालों में मिलने वाले ब्लड पर भी 12.5 फीसदी जीएसटी लागू किया गया है। इस वजह से राजस्थान स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल ने ब्लड बैंकों से मिलने वाले ब्लड के दाम बढ़ा दिए हैं। जिले में हर महीने 1800 मरीजों को ब्लड की जरूरत होती है। थैली पर जीएसटी लगाने के बाद सप्लायरों ने भी दाम बढ़ा दिए हैं। इसके चलते काउंसिल ने प्रति यूनिट के दामों में बढ़ोतरी करने के आदेश जारी कर सभी जिला उपखंड चिकित्सा प्रभारियों को एक जनवरी ने नई दरों पर ही प्रति यूनिट खून मरीजों को देने का निर्देश दिया गया है। गर्भवती को डिलीवरी के समय सबसे ज्यादा ब्लड लगाया जाता है।
ब्लडके दाम बढ़ाने का विरोध भी शुरू : ब्लडके दाम बढ़ाने का विरोध भी शुरू हो गया है। सोमनाथ भाजपा मंडल के अध्यक्ष राधेश्याम चौहान का कहना है कि लोगों का मानना है कि ब्लड की जरूरत उसी मरीज को रहती है, जो जिंदगी और और मौत के बीच जंग लड़ रहा हो। जब गेहूं पर सब्सिडी दी जा रही है तो खून पर क्यों नहीं। खाना तो एक दिन में एक वक्त मिले तब भी जिंदा रहा जा सकता है, लेकिन रक्त के बिना तो एक मिनट नहीं रहा जा सकता। अगर सरकार गरीब लोगों को सब्सिडी पर रक्त उपलब्ध करवाए तो इससे ब्लड बैंकों को भी राहत मिलेगी। हालांकि सरकारी अस्पतालों में निशुल्क ब्लड उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन यहां से रैफर होने पर उसे निजी अस्पताल में जाना पड़ा तो उस पर अतिरिक्त भुगतान का भार पड़ेगा।
गर्भवती,घायलों और थैलेसीमिया पीड़ितों को सबसे ज्यादा जरूरत : सबसेज्यादा ब्लड की जरूरत गर्भवती महिलाओं को होती है। इसके अलावा हादसों में घायल होने वाले लोगों को ब्लड की जरूरत पड़ती है। थैलेसीमिया पीड़ित मरीजों को भी हर माह ब्लड लगाने की जरूरत होती है।
दो साल पहले बढ़ाए थे 250 रुपए
काउंसिलने दो साल पहले ब्लड के दाम बढ़ाए थे। प्रति यूनिट 800 के बजाए 1050 रुपए के आदेश जारी किए थे। इस बार भी राजस्थान स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल के आदेश जारी होने के बाद यह दरेंं बढ़ाई है। सरकार द्वारा ब्लड की हर थैली पर जीएसटी लगाया जा रहा है। इसी के कारण राजस्थान ब्लड कौंसिल ने ब्लड बैंकों से सुझाव मांगे गए थे। उसी के आधार पर यह दरे बढ़ाई जा रही है। दूसरा बिजली के रेट लगातार बढ़ रहे हैं।
इस कारण कौंसिल को रेट बढ़ाने का सुझाव दिया ब्लड बैंकों ने ही दिए थे।
^राजस्थान स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल ने आदेश जारी किए हैं। इसमें 1 जनवरी से नई दराें पर मरीजों को खून देने के लिए कहा गया है। हालांकि बांगड़ समेत सरकारी अस्पतालों में मरीजों से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जा रहा है। -डॉ. एमएस राजपुरोहित, पीएमओ, बांगड़ अस्पताल,
^इसबारे में आदेश मिल गए हैं। यह आदेश 1 जनवरी 2018 से प्रभावी होंगे। पूर्व में 1050 रुपए प्रति यूनिट के लिए जा रहे हैं, नए आदेश से 1250 रुपए लिए जाएंगे। -डॉ. डीके जैन, प्रभारी ब्लड बैंक, बांगड़ अस्पताल, पाली