पद्मावती पर असमंजस: 12 जनवरी को रिलीज की खबर को मेकर्स ने बताया अफवाह
संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती की प्रस्तावित रिलीज डेट को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है. सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि फिल्म 12 जनवरी के दिन रिलीज होगी. इसे 1 दिसंबर को रिलीज किया जाना था. हालांकि पद्मावती के मेकर्स ने डेट आगे बढ़ने की बात से इनकार किया है.
पद्मावती के निर्माताओं में से एक Viacom18 के सीओओ अजीत अंधारे ने पद्मावती की रिलीज टेड आगे खिसकने की खबरों को आधारहीन कहा.
वैसे फिल्म के निर्माताओं की ओर से सेंसर बोर्ड को जो डॉक्युमेंट भेजे गए थे उसमें कई तरह की खामियां हैं. मेकर्स की ओर से पहले 1 दिसंबर को देशभर में फिल्म की रिलीज प्रस्तावित है. सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि मेकर्स की ओर से आज (17 नवंबर) सेंसर बोर्ड को कॉपी सौंपी गई है.
इंडिया टुडे को सूत्रों ने बताया, ‘पद्मावती मेकर्स की ओर से सेंसर को जो ओरिजिनल डॉक्युमेंट भेजे गए हैं वो अधूरे हैं. फिल्म की शुरुआत में भी अपेक्षित डिस्क्लेमर नहीं है. डॉक्यूमेंटेशन में कमी की वजह से फिल्म के प्रमाणन में देरी हो रही है.’
फिल्म के टलने की ये हो सकती हैं 2 बड़ी वजहें
#1. क्या है सेंसर बोर्ड का नियम : दरअसल, नियमों के मुताबिक किसी फिल्म को सर्टिफिकेशन के लिए रिलीज से 15 दिन पहले सेंसर के पास भेजना होता है. फिल्म की पहली कॉपी का काम पूरा नहीं हुआ था. इस वजह से इसे सेंसर के पास नहीं भेजा गया था. फिल्म 17 नवंबर को ही सेंसर के पास भेजी गई है. प्रस्तावित तारीख 1 दिसंबर पर रिलीज के लिए बोर्ड के पास फिल्म भेजने की तारीख ख़त्म हो चुकी है.सेंसर ने नियम का पालन किया तो 1 दिसंबर को फिल्म की रिलीज पर संकट है.
#2. फिल्म पर जारी विवाद : हालांकि यह साफ नहीं है लेकिन फिल्म पर जारी विवाद भी रिलीज डेट की टलने की एक वजह बन सकते हैं. फिल्म पर करणी सेना और कांग्रेस-बीजेपी जैसे राजनीतिक दलों ने आपत्ति जाहिर की है. गुजरात में विधानसभा चुनाव और यूपी में निकाय चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने इसे टालने की मांग की गई थी. बीजेपी ने निर्वाचन आयोग को चिट्ठी लिखकर डेट बढ़ाने की मांग की थी. सेंसर का मामला बताते हुए आयोग ने इसे अस्वीकार कर दिया था.
रिलीज डेट खिसकी तो आगे क्या ?
#1. फिल्म को लेकर जारी गतिरोध कुछ दिनों के लिए कम होगा. अगर फिल्म गुजरात और यूपी के निकाय चुनाव के बाद रिलीज होती हैं तो संभवत: राजनीतिक दलों के विरोध का सामना न करना पड़े.
#2. करणी सेना और दूसरे राजपूत संगठनों के नेतृत्व में जारी आंदोलन कमजोर पड़ेगा. चूंकि फिल्म की रिलीज तारीख टल रही है शायद जनवरी में में इसकी रिलीज शांति से हो सके.
700 साल बाद सामने आया पद्मिनी का वंशज, पूछा- कहानी झूठ तो मेरा वजूद कैसे
क्या सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है
उधर, उच्च पदस्थ सरकारी सूत्रों ने इंडिया टुडे से यह साफ़ किया कि पद्मावती को लेकर सीबीएफसी के कामकाज में सरकार की ओर से किसी तरह का दखल नहीं है. फिल्म के बार में कोई फैसला लेने के लिए सेंसर बोर्ड स्वतंत्र है. सेंसर की कार्यप्रणाली में सरकारी हस्तक्षेप नहीं है.
सेंसर चीफ ने नहीं देखी है फिल्म
सेंसर बोर्ड चीफ प्रसून जोशी ने इंडिया टुडे को बताया कि उन्होंने अभी तक पद्मावती नहीं देखी है. इस तरह की खबरें झूठ हैं, जिनमें एक प्राइवेट स्क्रीनिंग में फिल्म देखने की बात कही जा रही है. सूचना और प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी के नजदीकी सूत्रों ने भी कहा, केंद्रीय मंत्री ने भी ऐसे किसी स्क्रीनिंग इवेंट में फिल्म नहीं देखी है. ऐसी चर्चाएं निराधार हैं.
‘दीपिका के साथ इंटीमेट सीन के लिए कुछ भी कर सकते हैं रणवीर सिंह’
रिलीज से पहले करणी सेना को दिखाना चाहते हैं फिल्म
सेंसर बोर्ड सूत्रों ने यह भी बताया कि मेकर्स ने करणी सेना को रिलीज से पहले फिल्म दिखाने के लिए सेंसर बोर्ड से अनुमति मांगी है. इसके लिए सेंसर बोर्ड को पद्मावती के निर्माताओं की ओर से स्पेशल स्क्रीनिंग के किए चिट्ठी लिखी गई है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक़ पद्मावती में अभिनय करने वाले सितारों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जा रही है. पूरे देश में हो रहे विरोध प्रदर्शन से उत्पन्न कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सरकार की नजर है.