तीन साल के कार्यकाल की चेयरमैन ने गिनाई उपलब्धियां, अधिकांश धरातल पर नहीं आई, कई योजनाएं आधी-अधूरी
नगर परिषद के 3 साल
सरकारी योजनाएं जो धरातल पर नहीं आई
अमृतयोजना : नगरपरिषद ने 105 करोड़ की योजना तैयार की, लेकिन सरकार से सिर्फ ग्रीनरी के लिए 2.07 करोड़ ही स्वीकृत किए। बीते दो साल में अभी तक योजना पर कार्य नहीं हो पाया।
स्मार्टराज प्रोजेक्ट : सरकारने नगर निकायों के सभी कार्य ऑनलाइन करने के लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया, लेकिन दो साल बाद भी शुरू नहीं हो पाया। बायोमैट्रिक हाजिरी भी उलझन में है।
सिटीवेस्ट प्लांट : नगरपरिषद ने सिटी वेस्ट प्लांट को नए सिरे से शुरू करने के लिए कार्ययोजना तैयार कर रखी है। कंपनी को ठेका भी जारी किया जा चुका है, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है।
सिटीसीवरेज 24 घंटे जलापूर्ति : सिटीसीवरेज का कार्य पिछले 11 साल से चल रहा है। पहले दो कंपनियों ने अधूरा कार्य किया तो अब रूडिप के तहत यह कार्य करवाए जा रहे हैं। सीवरेज ने पूरा शहर उखाड़ दिया है। आमजन पूरी तरह त्रस्त है। सड़कें बन रही और ही सीवरेज 24 घंटे जलापूर्ति का लाभ मिल रहा है।
3 सालसे चल रही घोषणाएं, अब भी अधूरी
1.महापुरुषोंकी प्रतिमाओं सर्किलों का नवीनीकरण
2.ड्रेनेजसिस्टम के लिए 20 करोड़
3.मुख्यमार्ग पर फुटपाथ निर्माण
4.लाखोटियातालाब को उदयपुर के फतेह सागर की तरह बनाना
अबइनको भी शामिल किया योजनाओं में
3नए आश्रय स्थल का निर्माण, सर्किट हाउस चौराहे पर मेजर ध्यानचंद की मूर्ति स्थापित करना, राजीव विहार के बाहर बेटी गौरव उद्यान, सोजत रोड पर शौर्य पथ, सभी क्षेत्रों में ओपन एयर जीम, नया चल शौचालय खरीदना, लोर्डिया बांध के सौंदर्यीकरण का कार्य, राजीव विहार में विभिन्न सुविधाएं विकसित करना, तीन महापुरुषों की मूर्तियां लगाना, लाखोटिया उद्यान के दूसरे भाग में वॉकिंग ट्रैक समेत अन्य कार्य का जिम्मा लिया है।
नगरपरिषद में भाजपा बोर्ड के 3 वर्ष का कार्यकाल रविवार को पूरा होगा। चेयरमैन ने अपने कार्यकाल में कराए गए नियमित कार्यों को भी उपलब्धियां बनाकर गिनाए हैं। इसको लेकर परिषद ने अपने बजट से एक पुस्तक का भी प्रकाशन करवाकर आमजन से वाहवाही लुटने का प्रयास किया जा रहा है। हकीकत तो यह है कि जिन योजनाओं को अपने खाते में उपलब्धि बताया है, उनमें से अधिकांश तो धरातल पर ही नहीं आई साथ ही कई अधूरी भी पड़ी है। मजेदार बात तो यह कि उपलब्धियों से भरी पुस्तक में सर्वाधिक महत्व स्वच्छ भारत अभियान पर दिया गया है, जबकि पूरा शहर सफाई व्यवस्था से त्रस्त है।
नवाचारकी नहीं हुई पूरी तरह मॉनिटरिंग
नगरपरिषद बोर्ड ने शुरुआत में शहर में भूमिगत कचरा पात्र लगवाए। ठेकेदार को सफाई किए बगैर ही 24 लाख रुपए भी मंजूर कर दिए गए। नवाचार के रूप में भलाई की भीत का भी बेसहारों को नहीं लाभ नहीं मिल रहा।
नगरपरिषद के अधिकारियों जनप्रतिनिधियों के बीच भी हुए तकरार
चेयरमैनके 3 साल के कार्यकाल में 4 आयुक्त और 1 राजस्व अधिकारियों के तबादले हुए है। या तो अधिकारी के कार्य से चेयरमैन खुश नहीं या चेयरमैन के कार्य से अधिकारी खुश नहीं होकर उन्होंने अपने तबादले करवाए है।
चेयरमैन राज्य केंद्र सरकार की अमृत, अफोर्डेबल हाउसिंग प्लान, उज्ज्वला योजना, स्वच्छता भारत अभियान, एलईडी लाइट्स की योजनाएं अपने खाते में गिनाई है। नगर परिषद ने सिर्फ इसे क्रियान्वित किया है, लेकिन पहले बजट से लेकर 3 साल पूरे होने के बाद भी चेयरमैन ने महाराणा प्रताप की जन्मस्थली के विकास, साइंस पार्क को वाई-फाई बनाने सहित कई बड़ी घोषणाएं की थी, जो अब तक धरातल पर नहीं आई है।
2. अवैधअतिक्रमण इमारतें
दावा: शहरमें बहुमंजिला इमारतों की कार्रवाई के साथ कई स्थानों से अस्थाई अतिक्रमण हटाए गए है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर से अतिक्रमण हटाया गया है।
हकीकत: पिछले3 साल में कई बार अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया गया। हर बार छोटे व्यापारी आम नागरिकों पर ही कार्रवाई की गई। आधा शहर अतिक्रमण की भेंट चढ़ा है।
3. सड़कें
दावा: शहरके बाहरी क्षेत्र की 15 सड़कें सुधारने के लिए सरकार ने 7.61 करोड़ रुपए की स्वीकृति जारी की है। कई जगहों पर डब्ल्यूबीएम सड़क का निर्माण किया गया। समय-समय पर मरम्मत का कार्य भी हुआ है।
हकीकत: शहरमें सड़क के मामले में अभी तक एक भी सड़क पूरी तरह से नहीं बनी है। केवल मरम्मत रीकार्पेट का कार्य ही हो पाया है। शहर में सड़कें सिर्फ रूडिप के तहत बन रही है।
7. पट्टावितरण
दावा: कृषिभूमि रूपांतरण के 3 हजार 498 पट्टे जारी किए, स्टेट ग्रांट एक्ट अन्य मामलों में 525 प्रकरणों का निस्तारण कर पट्टे जारी किए, 1 हजार 350 भवन निर्माण की स्वीकृति जारी की।
हकीकत: नगरपरिषद में लोग अभी भी पट्टे लेने के लिए भटक रहे हैं। समय पर अधिकारियों के हस्ताक्षर नहीं होने से पट्टे नहीं मिल पाए। भवन निर्माण को लेकर भी लोग परेशान है।
5. बिजलीव्यवस्था
दावा: शहरमें 20 हजार एलईडी लाइट्स लगाई, 3 हाईमास्ट लाइट, मिनी हाईमास्ट लाइट के साथ लगाई। शहर में 89 ट्यूबलर पोल, 45 ऑरनामेंटल पोल, कई जगहों पर बिजली के पोल शिफ्ट करवाए।
हकीकत: शहरके भीतरी इलाकों कॉलोनियों में लोगों की शिकायत के बाद भी एलईडी लाइट्स चालू नहीं हो पाती हैं। कई पार्षदों ने शिकायतें भी कर रखी है। टोल फ्री नंबर पर भी उचित जवाब नहीं मिलता है।
6. बेसहारागोवंश श्वानों से निजात
दावा: शहरमें 1500 बेसहारा गोवंश काे पकड़ा, इनमें 550 को विभिन्न गोशालाओं में भेजा, 450 को अस्थाई गोशाला बनाकर रखा जा रहा है।
हकीकत: नगरपरिषद गोशालाओं को अनुदान देने के बाद बेसहारा गोवंश का शहर में का जमावड़ा है। श्वानों को पकड़ने के लिए डॉग सेवा केंद्र बनाया गया, वो भी वर्तमान में बंद पड़ा है।
4. सौंदर्यीकरण
दावा: शहरमें यूनीपोल लगाए, दो प्रवेश द्वार के साथ 4 गेंट्री गेट्स, रामलीला मैदान रोड पर डिवाइडर, पेड़ों कचरा पात्रों पर पेंटिंग, सामुदायिक स्वास्थ्य भवन, कलात्मक बिजली के पोल, डिवाइडर गमले और शहर में हरियाली बढ़ाई।
हकीकत: भामाशाहोंके सहयोग ही प्रवेश द्वारा गेंट्री गेट्स का निर्माण हुआ है। डिवाइडर पर गमले लगाए, पौधे सूख रहे। बांडी नदी पुलिया के दोनों छोर पर गार्डन को लेकर भी पिछले डेढ़ साल से काम चल रहा है।
1. सफाईव्यवस्था
दावा: स्वच्छतासर्वेक्षण में पूरे राज्य में तीसरे स्थान पर रहे, चल शौचालय बनवाए, सफाई कर्मचारियों के स्वास्थ्य की जांच के साथ घर-घर कचरा संग्रहण का कार्य हो रहा है। पॉलिथीन को लेकर भी अभियान चलाए गए।
हकीकत: सफाईको लेकर भूमिगत कचरा पात्र लगवाए गए, लेकिन नियमित सफाई के अभाव में उनमें कचरा जमा है। कई पार्षद शहरवासी भी सफाई व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है। सिर्फ स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर ही कार्य हो रहे है।