कलेक्ट्रेट के सामने भूख हड़ताल पर बैठा दिव्यांग जीनेंद्र कुमार
पालीके आशापुरा नगर में रहने वाला 23 वर्षीय दिव्यांग जीनेंद्र कुमार की व्यथा जब अफसरों ने नहीं सुनी तो अपनी मांगों को लेकर बुधवार को वह कलेक्ट्रेट के सामने भूख हड़ताल पर बैठ गया। जीनेंद्र कुमार सैन का कहना है कि तीन साल पहले उसका दिव्यांग प्रमाण पत्र पूरा हो गया था, जब उसे फिर से बनाने के लिए गया तो डॉक्टर ने यह कहकर मना कर दिया कि वह दिव्यांग नहीं है।
इतना ही नहीं, 2007 में उसकी मां की मौत के बाद उसके पिता जीनेंद्र और उसके दो अन्य भाई बहन को छोड़ कर चले गए थे। इसके बाद से उसका एक भाई मुंबई और एक भाई बहन के पास रहता है और तब से वह अपने हक के लिए लड़ रहा है। उसका कहना है कि खाद्य सुरक्षा योजना, रोजगार के लिए लोन और बीपीएल सूची में भी नाम जोड़ने के लिए आवेदन किया था, लेकिन अभी तक उसकी सुनवाई नहीं हुई और तीन साल से वह विभागों के चक्कर काट रहा है। उसका कहना है कि जब उसकी मांगें पूरी होती हुई नहीं दिखी तो वह भूख हड़ताल पर बैठने को मजबूर हो गया।
एकसाल पहले सीएमओ के बाहर कर चुका है आत्मदाह का प्रयास, सात दिन जेल में रहा : जीनेंद्रने बताया कि एक साल पहले जब स्थानीय अधिकारियों ने उसकी नहीं सुनी तो वह सीएम से मिलने जयपुर भी गया। इस दौरान सीएमओ में भी उसकी सुनवाई नहीं हुई तो बाहर आकर उसने आत्मदाह का भी प्रयास किया। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर सात दिन जेल में रखा।
फैक्ट्री में फोल्डिंग का करता है काम, सोजत के एक नेता पर जमीन दबाने का भी लगाया आरोप
जीनेंद्रसैन आशापुरा नगर में किराए के मकान में रहता है। साथ ही वह फैक्ट्री में फोल्डिंग का काम भी करता है। उसने सोजत के एक नेता पर आरोप लगाते हुए कहा कि सोजत में उसके दादाजी ने एक प्लॉट खरीदा था, जिस पर उसकी मां का हक था, लेकिन उसकी मौत के बाद उस नेता ने उसका प्लॉट दबा लिया।
कलेक्ट्रेट के बाहर अपनी मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर बैठा जीनेंद्र।
व्यथा